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      कैसे रुकेंगी कन्या भ्रूण हत्याएँ

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              गर्भ में मादा भ्रूण की हत्याओं के पीछे पुत्रेच्छा, नारी उत्पीड़न, व्याभिचार, पुरुष अहंकार मुख्य कारण रहे हैं। कन्या भ्रूण हत्याएँ तभी रुकेंगी, जब हम अपने समाजिक वैचारिक नियमों में तबदीली लाएंगे। नारी उत्पीड़न, व्याभिचार जैसे अमानवीय कृत्यों के विरुद्ध लामबंध हो लिंगभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे तथा कानूनों का सख्ती से पालन करेंगे। कानूनों को उलंघ्घन करने वालों को पकड़वाने में सरकार का सहयोग करेंगे। सरकार को भी अपनी कार्यशैली को बदलकर दृढ़ता से नियमों की पालना करवानी होगी।

-गर्भवती महिलाओं का तुरंत पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए।

-गर्भवती महिलाओं को सरकारी सुविधाएँ प्रदान करने के साथ-साथ उन पर निगरानी रखी जानी चाहिए।

-किन्ही कारणों से गर्भपात हो जाए तो भ्रूण की मैडिकल जाँच अनिवार्य की जाए।

-अवैध परीक्षण और गर्भपात के जो मामले पकड़े जाते हैं, उनमें चिकित्सा विभाग हम- पेशा होने के कारण व पुलिस लालचवश कुछ खामियां छोड़ देती है तथा कोर्ट में गवाह की कमी से दोषी छुट जाते हैं। ऐसे छापों के दौरान गैर सरकारी संगठन के सदस्यों/पत्रकारों को टीम में शामिल करना चाहिए ताकि दृढ़ता से केस दर्ज हो सके। गैर सरकारी संगठनों/ पत्रकारों की गवाही अहम्‌ मानी जाए।

-कन्या भ्रूण हत्या संबंधी जानकारी देने वाले व्यक्ति/संस्था को इनाम राशि एक लाख रूपये तय की जाए। तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

-अल्ट्रासाउंड सैंटर में आने वाले सभी आंगतुकों का नाम पता विजिटर रजिस्ट्रर में दर्ज होना चाहिए।
-अल्ट्रासाउंड सैंटर पर कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों का ड्रेस कोड होना चाहिए, ताकि छापामारी के दौरान अल्ट्रासाउंड सैंटर का कोई भी कर्मचारी भाग न सके ।

-जो व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या करने/करवाने वाले को पकड़वाता है, उसे अवैतनिक पुलिस अधिकारी का दर्जा दिया जाना चाहिए।

-सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों, सभी महिला चिकित्सकों, सरकारी हस्पताल व शहर के मुख्य स्थानों पर पीएनडीटी एक्ट की मुख्य धाराओं के साईन बोर्ड लगाने चाहिए, ताकि कन्या भ्रूण हत्या करने व करवाने वालों को भय हो सके।

-घरेलू हिंसा के विरोध व महिला सशक्तिकरण के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।

-ऐसे सभी कार्यक्रम/रीति रिवाजों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिनसे औरतें, पुरुषों से हीन दिखाई दें, जैसे पर्दा प्रथा, गरीब कन्याओं की शादी, सती प्रथा इत्यादि ।

-बारह से बीस सप्ताह की अवधि वाले भ्रूण का गर्भपात यदि अनिवार्य हो तो इसकी इजाजत जिला मुख्य चिकित्सक से लेनी अनिवार्य की जाए। क्योंकि इस अवधि में करवाए गए गर्भपात अधिकांशतयाः लिंग परीक्षण के बाद करवाए जाते हैं।

-गरीब कन्याओं की शादियाँ सामाजिक संस्थाओं द्वारा करवाई जाती हैं, उन शादियों का विज्ञापन गरीब कन्याओं की शादी के स्थान पर गरीब दम्पति विवाह समारोह या गरीब लड़का-लड़की विवाह समारोह रखा जाए।

धार्मिक सत्संगों में कथावाचकों सहित तथाकथित धर्मगुरूञ्ओं से अपील की जाए कि वे ऐसी कथाएं या प्रवचन न दें जिसमें नारी को दीन-हीन प्रदर्शित किया गया हो, विशेष तौर पर कुल को चलाने के लिए पुत्र का आवश्यक होना बताया गया हो। यदि संभव हो तो इस प्रकार की कथाओं पर प्रतिबंध ही लगा देना चाहिए।



 

 


 

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