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समाज में चारों
ओर गुंडा-गर्दी, दहशत का माहौल है। बलात्कार व हिंसा की घटनाएँ बढ़
रही हैं। विशेषकर महिलाएँ इन घटनाओं का अधिक शिकार होती हैं। गुंडे
दफ्तर में, सड़क पर यहाँ तक की मंदिर में भी छिछोरी हरकत करने से
बाज नहीं आते, आए दिन बलात्कार की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं।
गुंडातत्व से तो जैसे-तैसे निपटा जा सकता है लेकिन वासना के पुजारी
पुरुष सगे संबंधियों से कैसे निपटे बेचारी नारी। घरेलू-यौन शौषण के
अधिकांश मामले लज्जावश दबा दिए जाते हैं। नारी घर की चारदिवारी में
भी सुरक्षित नहीं है।
नए कानून में महिलाओं को हिम्मत मिलने की उम्मीद जताई गई है, इस
कानून के अनुसार महिलाओं के साथ बलात्कार के मुकद्दमों की सुनवाई
सिर्फ महिला जजों से कराने का प्रावधान है। इससे एक अच्छी, असरदार
और मानवीय न्याय प्रणाली चलाने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार के मामलों में चिकित्सा सबूत
अपर्याप्त भी हैं, तो भी महिला का ब्यान ही काफी समझा जाना चाहिए।
देश में बलात्कार के लगभग 80 प्रतिशत मामलों में सबूतों के अभाव,
धीमी पुलिस जाँच में अभियुक्तों को सज़ा नहीं मिल पाती है। बहुत-सी
महिलाएँ ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट भी कराने से कतराती हैं। भारतीय
महिलाओं में इस तरह की घटनाओं को छुपाने की प्रवृति होती है क्योंकि
इससे उनका और उनके परिवार का सम्मान जुड़ा होता है।
अभी तक ऐसा होता था कि पुरुष वकील बलात्कार की शिकार किसी महिला को
डराने और धमकाने में कामयाब हो जाते थे, अब महिला जज सहानुभूति वाला
माहौल बनाने में मदद करेंगी।
बलात्कार की शिकार कोई महिला अदालत में जिरह के दौरान अपने वकील को
अपने साथ रख सकेगी। अभी तक ऐसा कैमरे के सामने होता था जिसमें
असहजता होती थी।
बलात्कार की शिकार महिला को महिला वकील देने का प्रावधान किया जा
रहा है क्योंकि सिर्फ महिला ही एक महिला को सही तरह से समझ सकती
है।
अगर कोई महिला चाहे तो अपनी पसंद का वकील चुन सकती है। अभी तक
सिर्फ सरकारी वकील ही ऐसे मामलों में जिरह करते थे।
साथ ही ऐसे मामलों में गवाहों के ब्य़ान पुलिस के सामने देने की
प्रथा भी बंद करने का प्रस्ताव किया गया है।
बलात्कार पर कानून
(धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ भारतीय दंड संहिता)
धारा 375 भारतीय दंड संहिता :-
जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के
विरुद्ध सम्भोग
करता है तो उसे बलात्कार कहते
हैं। सम्भोग का अर्थ - पुरुष के लिंग
का स्त्री की योनि में प्रवेश होना
ही सम्भोग है। किसी भी कारण
से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा।
बलात्कार तब माना जाता है यदि कोई पुरुष किसी स्त्री साथ
निम्नलिखित
परिस्थितियों में से किसी भी परिस्थिति में मैथुन करता है वह पुरुष
बलात्कार करता है, यह कहा जाता है-
-उसकी इच्छा के
विरुद्ध
-उसकी सहमति के बिना
-उसकी सहमति डरा धमकाकर ली गई हो
-उसकी सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी
रूप से कमजोर या पागल हो
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण
होश में नहीं हो
-यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना
सहमति के
-15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया
सम्भोग
भी बलात्कार है
धारा 376 भारतीय दंड संहिता :-
धारा 376 बलात्संग के लिए दण्ड का प्रावधान बताती है। इसके
अन्तर्गत बताया गया है कि (1) द्वारा उपबन्धित मामलों के सिवाय
बलात्संग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनकी
अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी,
किन्तु जो आजीवन के लिए दस वर्ष
के लिए हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय
होगा, किंञ्तु यदि वह स्त्री जिससे बलात्संग किया गया है, उसकी
पत्नी है और बारह वर्ष से कम आयु की नहीं है तो वह दोनों में से
किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी अथवा
वह जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। परंतु न्यायालय ऐसे
पर्याप्त और विशेष कारणों से जो निर्णय में उल्लिखित किए जाएंगे,
सात वर्ष से कम की अवधि के कारावास का दण्ड दे सकेगा।
बलात्कार केस जिनमें अपराध साबित करने
की जिम्मेदारी दोषी पर हो न
कि पीडि़त स्त्री पर। यानि वे
केस जिनमें दोषी व्यक्ति होने को
अपने निर्दोष होने का सबूत देना हो।
उपधारा (2) के अन्तर्गत बताया गया है कि जो कोई
-पुलिस अधिकारी होते हुए- उस पुलिस थाने की सीमाओं के भीतर जिसमें
वह नियक्त है, बलात्संग करेगा, या किसी थाने के परिसर में चाहे वह
ऐसे पुलिस थाने में, जिसमें वह नियुक्त है, स्थित है या नहीं,
बलात्संग करेगा या अपनी अभिरक्षा में या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस
अधिकारी की अभिरक्षा में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा, या
- लोक सेवक होते हुए, अपनी शासकीय स्थिति का फायदा उठाकर किसी ऐसी
स्त्री से, जो ऐसे लोक सेवक के
रूप में उसकी अभिरक्षा में या उसकी
अधीनस्थ किसी लोक सेवक की अभिरक्षा में है, बलात्संग करेगा, या
- तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा यह उसके अधी स्थापित किसी जेल,
प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान के या स्त्रियों या
बालकों की किसी संस्था के प्रबंध या कर्मचारीवृंद में होते हुए अपनी
शासकीय स्थिति का फायदा उठाकर ऐसी जेल, प्रतिपे्रषण गृह स्थान या
संस्था के किसी निवासी से बलात्संग करेगा, या
- किसी अस्पताल के प्रबंध या कर्मचारीवृंद में होते हुए अपनी
शासकीय स्थिति का लाभ उठाकर उस अस्पताल में किसी स्त्री से
बलात्संग करेगा,या(ड.)किसी स्त्री से, यह जानते हुए कि वह गर्भवती
है, बलात्संग करेगा या
- किसी स्त्री से, जो बारह वर्ष से कम आयु की है, बलात्संग करेगा
या
- सामूहिक बलात्संग करेगा।
- जब गर्भवती महिला के साथ बलात्संग किया गया हो
वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी,
किन्तु
जो आजीवन हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय
होगा। परंतु न्यायालय ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से, जो निर्णय
में उल्लिखित किये जाऐंगे, दोनों में से किसी भांति के कारावास को,
जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की हो सकेञ्गी दण्ड दे सकेगा।
इस धारा में तीन
स्पष्टीकरण दिये गए है, प्रथम
स्पष्टीकरण
के अंतर्गत बताया गया है कि जिन व्यक्तियों के समूह में से एक या
अधिक व्यक्तियों द्वारा सबके सामान्य आशय को अग्रसर करने में किसी
स्त्री से बलात्संग किया जाता है, वहां ऐसे व्यक्तियों में से हर
व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने उस उपधारा के अर्थ में
सामूहिक बलात्संग किया है।
द्वितीय स्पष्टीकरण के अंतर्गत बताया गया है कि स्त्रियों या
बालकों को किसी संस्था से स्त्रियों और बालकों को ग्रहण करने और
उनकी देखभाल करने के लिए स्थापित या अनुरक्षित कोई संस्था अभिप्रेत
है, चाहे वह उसका नाम अनाथालय हो या उपेक्षित स्त्रियों या बालकों
के लिए गृह हो या विधवाओं के लिए गृह या कोई भी अन्य नाम हों।
तृतीय स्पष्टीकरण के अन्तर्गत बताया गया है कि अस्पताल से
अस्पताल का अहाता अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत ऐसी किसी संस्था का
आहता है जो उल्लंघन(आरोग्य स्थापना) के दौरान व्यक्तियों को या
चिकित्सीय ध्यान या पुर्नवास की अपेक्षा रखने वाले व्यक्तियों का
ग्रहण करने और उनका आचार करने के लिए है।
धारा 376 (क) भारतीय दंड संहिता :-
पृथक रहने के दौरान किसी
पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ
सम्भोग
करने की दशा में वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी
अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से
भी दण्डनीय होगा ।
धारा 376 (ख) भारतीय दंड संहिता :-
लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में किसी स्त्री के साथ
सम्भोग करने
की दशा में जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की ही हो सकेगी, दण्डित किया
जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 376 ग भारतीय दंड संहिता :-
जेल, प्रतिप्रेषण गृह आदि के अधीक्षक द्वारा
सम्भोग की स्थिति में
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक
की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 376 घ भारतीय दंड संहिता :-
अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारीवृन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस
अस्पताल में किसी स्त्री के साथ
सम्भोग करेगा तो वह दोनों में किसी
भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित
किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 377 भारतीय दंड संहिता :-
प्रकृति विरुद्ध अपराध के बारे में है जो यह बताती है कि जो
कोई किसी पुरुष, स्त्री या जीव वस्तु के साथ
प्रकृति की
व्यवस्था के
विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय-भोग करेगा, वह आजीवन
कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि
दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी
दण्डनीय होगा।
बलात्कार से पीडि़त स्त्री को कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि
वो न्याय प्राप्त कर सकें :-
- अपने परिवार वालों या दोस्तों को बतायें
-नहाए नहीं
-वह कपड़े जिनमें बलात्कार हुआ है, उन्हें धोए नहीं। यह सब करने से
शरीर या कपड़ों पर होने वाले महत्वपूर्ण सबूत मिट जाएँगे।
-बलात्कारी का हुलिया याद रखने की कोशिश करें।
-तुरंत पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) लिखवाएं।
एफ.आई.आर. लिखवाते वक्त परिवार वालों को साथ ले जाएँ। घटना की
जानकारी विस्तार से रिपोर्ट में लिखवाएँ।
-एफ.आई.आर. में यह बात
जरुर लिखवाएँ कि जबरदस्ती(बलात्कार)
सम्भोग
हुआ है।
-यदि बलात्कारी का नाम जानती है, तो पुलिस को अवश्य बताएं।
-यह उस स्त्री का अधिकार है कि एफ.आई.आर. की एक कापी उसे मुफ्त दी जाए।
-यह पुलिस का कर्तव्य है कि वह स्त्री
की डॉक्टरी जांच कराए।
-डॉक्टरी जांच की रिपोर्ट की कापी
जरुर लें।
-पुलिस जांच के लिए स्त्री के कपड़े लेगी, जिस पर बलात्कारी पुरुष
के वीर्य, खून, बाल इत्यादि हो सकते हैं। पुलिस स्त्री के सामने उन
कपड़ों को सील-बंद करेगी। उन सील बंद कपड़ों की रसीद
जरुर लें।
-कोर्ट में बलात्कार का
केस बंद कमरे में चलता है यानि कोर्ट में
केवल केस से संबंधित व्यक्ति ही उपस्थित रह सकते हैं।
-पीडि़त स्त्री की पहचान को प्रकाश में लाना अपराध है।
-पीडि़त स्त्री का पूर्व व्यवहार नहीं देखा जाना चाहिए।
अगर पुलिस एफ.आई.आर. लिखने से मना कर दे, तो आप निम्न जगहों पर
शिकायत कर सकते हैं :-
-कलेक्टर
-स्थानीय या
राष्ट्रीय समाचार पत्र
-राष्ट्रीय महिला आयोग
कानून बलात्कार से पीडि़त महिला को
क्रिमिनल इज्यूरीस
कंञ्पेन्सेशन बोर्ड के द्वारा आर्थिक मुआवजा भी दिलवाता है।
अन्य यौन अपराध
से सम्बंधित कानून
धारा 354 भारतीय दंड संहिता :-
स्त्री की मर्यादा को क्षति पहुंचाने के लिए हमले या जबरदस्ती का
इस्तेमाल
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर
हमला या जबरदस्ती करता है, तो उसे दो साल तक की
कैद या जुर्माना
या दोनों की सजा होगी।
अपहरण पर कानून (धारा
363 क भारतीय दंड संहिता)
अपहरणः
किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की,
जिसकी उम्र अट्ठारह साल से कम है, को उसके सरंक्षक की आज्ञा के बिना
कहीं ले जाना अपहरण का अपराध है तथा इसके लिए अपराधी को सात साल की
कैद और जुर्माना हो सकता है।
अगर कोई बहला
फुसला कर भी बच्चों को ले जाए तो कहने को तो बच्चा
अपनी मर्जी से गया, लेकिन कानून में वह अपराध होगा।
व्यपहरण पर कानून
(धारा 362, 364, 364क, 365, 366, 367, 369 भारतीय दंड संहिता)
व्यपहरणः-
किसी बालिग व्यक्ति को जोर जबरदस्ती से या बहला
फुसला कर किसी
कारण से कहीं ले जाया जाए तो यह व्यपहरण का अपराध है। यह कारण
निम्नलिखित
हो सकते है। जैसेः- फिरौती की रकम के लिए, उसे गलत तरीके से
कैद
रखने के लिए, उसे गंभीर चोट पहुँचाने के लिए, उसे गुलाम बनाने के
लिए इत्यादि।
धारा 366 भारतीय दंड संहिता :-
धारा के अन्तर्गत विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी
स्त्री को अपहृत करना या उत्प्रेरक करने के बारे में बताया गया है।
इसमें बताया गया है कि जो कोई किसी स्त्री का अपहरण या व्यपहरण उसकी
इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को
विवश करने के आशय से या यह विवश की जायेगी, यह
सम्भाव्य जानते हुए
अथवा आयुक्त सम्भोग करने के लिए उस स्त्री को विवश, यह विलुब्ध करने
के लिए, यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति
के कारावास से, जिनकी अवधि दस वर्ष तक से भी दण्डनीय होगी
अनैतिक व्यापार पर कानून
(धारा 366 क, 366ख, 372, 373 भारतीय दंड संहिता)
अनैतिक व्यापार :-
यदि कोई व्यक्ति किसी भी लड़की को वेश्यावृति के लिए खरीदता या बेचता
है तो उसे दस साल तक की
कैद और जुर्माना की सजा होगी।
अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम,
1956
यदि कोई व्यक्ति वेश्यावृति के लिए किसी व्यक्ति को खरीदता बेचता,
बहलाता फुसलाता या उपलब्ध करवाता है तो उसे तीन से चौदह साल तक
की कैद और जुर्माने की सजा होगी।
धारा 366 क भारतीय दंड संहिता :-
धारा 366 क के अन्तर्गत अप्राप्त लड़की को उपादान के बारे में
बताया गया है। इसके अन्तर्गत कहा गया है कि जो कोई अठारह वर्ष से
कम आयु की अप्राप्तवय लड़की को, अन्य व्यक्ति से
आयुक्त संभोग करने
के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या
तद्द्वारा विवश या
विलब्ध किया जाएगा, यह
सम्भाव्य जानते हुए ऐसी लड़की को किसी स्थान
से जाने को कोई कार्य करने को, किसी भी साधन द्वारा उत्प्रेरित
करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेञ्गी दण्डित
किया जाएगा और जुर्माना से भी दण्डनीय होगा।
धारा 366 ख भारतीय दंड संहिता :-
धारा 366 (ख) के अन्तर्गत विदेश से लड़की को आयात करने के
बारे में बताया गया है कम आयु की किसी लड़की का भारत के बाहर उसके
किसी देश से या जम्मू-कश्मीर से आयात उसे किसी अन्य व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या
विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या
विलुब्ध की जाएगी, यह
सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह कारवास
से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और
जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 372 भारतीय दंड संहिता :-
वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचने के बारे में
प्रावधान करती है। इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई
18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधि
विरुद्ध या दुराचारिक प्रयोजन के
लिए कम में लाया या उपयोग किया जाए या यह
सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा
व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा,
या उपभोग किया जाएगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित
करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस
वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी
दण्डनीय होगा।
(6 धारा के अन्तर्गत
2 स्पष्टीकरण दिये गये हैं।स्पष्टीकरण
1 के अन्तर्गत बताया गया है कि जबकि अठारह वर्ष से
कम आयु की नारी किसी वेश्या को, या किसी अन्य व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेची जाए, भाड़े पर दी
जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित
करने वाले व्यक्ति के बारे में,जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर
दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया
है कि वह
वेश्यावृत्ति के उपभोग में लाई जाएगी।
स्पष्टीकरण -2 के अन्तर्गत आयुक्त
सम्भोग से इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे व्यक्तियों
में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं है, या ऐसे किसी
सम्भोग
या बंधन से संयुक्त नहीं कि जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता
तथापि इस समुदाय की, जिसके वे हैं या यदि वे भिन्न समुदायों के
हैं, जो ऐसे दोनों समुदायों की स्वीय विधि या रूञ्ढि़ द्वारा उनके
बीच में विवाह सदृश्य
सम्बन्ध अभिसात किया जाता है।
धारा 373 भारतीय दंड संहिता :-
वेश्यावृत्ति के प्रयोजन के लिए अप्राप्वय का खरीदना आदि के बारे में
हैं जो कोई अठारह वर्ष में कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय के बारे
में है कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी
वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति
से आयुक्त सम्भोग करने के लिए या किसी विधि
विरुद्ध दुराचारिक
प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह
सम्भाव्य जानते
हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम
में लाया जाएगा या उपभोग किया जाएगा, खरीदेगा, भाड़े पर लेगा या
अन्यथा उसका कब्जा अभिप्रेत करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के
कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा
और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। इस धारा के
स्पष्टीकरण के
अन्तर्गत बताया गया है कि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी को खरीदने
वाला, भाड़े पर लेने वाला या अन्यथा उसका कब्जा करने वाले
तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसी
नारी का कब्जा उसने इस आशय से अभिप्रेत किया है कि वह
वेश्यावृत्ति के प्रयोजनों के लिए उपभोग में लायी जाएगी।
छेड़खानी पर कानून
(धारा 509,294, भारतीय दंड संहिता)
शब्द, इशारा या मुद्रा जिससे महिला की मर्यादा का अपमान हो
यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री की मर्यादा का अपमान करने की नीयत से
किसी शब्द का उच्चारण करता है या कोई ध्वनि निकालता है या कोई इशारा
करता है या किसी वस्तु का प्रदर्शन करता है, तो उसे एक साल तक की
कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
अश्लील मुद्रा, इशारे या गाने
यदि कोई व्यक्ति दूसरों को परेशान करते हुए सार्वजनिक स्थान पर या
उसके आस-पास कोई अश्लील हरकत करता है या अश्लील गाने गाता, पढ़ता
या बोलता है, तो उसे तीन महीने
कैद या जुर्माना या दोनों की सजा
होगी।
स्त्री के अभद्र
रूप से प्रदर्शन पर कानून
(स्त्री अशिष्ट्
रूप (प्रतिशेध) अधिनियम
1986)
स्त्री का अभद्र
रूप या चित्रांकनः
यदि कोई व्यक्ति विज्ञापनों, प्रकाशनों, लेखों, तस्वीरों,
आकृतियों द्वारा या किसी अन्य तरीके से स्त्री का अभद्र
रूपण
या प्रदर्शन करता है तो उसे दो से सात साल की
कैद और जुर्माने की
सजा होगी।
कार्यस्थल पर यौन शोषण पर कानून
(उच्चतम न्यायालय का विशाखा निर्णय,
1997)
-कार्यस्थल पर किसी भी तरह के यौन शोषण जैसे शारीरिक छेड़छाड़, यौन
संबंध की माँग या अनुरोध, यौन उत्तेजक कथनों का प्रयोग, अश्लील तस्वीर
का प्रदर्शन या किसी भी अन्य प्रकार का अनचाहा शारीरिक,
शाब्दिक,
अमौखिक आचरण जो अश्लील
प्रकृति का हो, की मनाही है।
-यह कानून उन सभी औरतों पर लागू होता है, जो सरकारी, गैर सरकारी,
पब्लिक, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में कार्य करती हैं।
-पीडि़त महिला को न्याय दिलाने के लिए हर संस्था/दफ्तर में एक यौन
शोषण शिकायत समिति का गठन होना आवश्यक है। इस समिति की अध्यक्ष एक
महिला होनी चाहिए। इसकी पचास प्रतिशत सदस्य महिलाएं होनी चाहिए तथा
इसमें कम से कम एक बाहरी व्यक्ति को सदस्य होना चाहिए।
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