|
कन्या भ्रूण
हत्या का एक कारण फैशन भी है यह फैशन कपड़ों का या हेयर स्टाइल का
नहीं है बल्कि फॅमिली प्लानिंग स्टाइल का फैशन है। आज की पढ़ी लिखी
जैनरेशन, 'हम दो-हमारे दो' के नारे को सफल बनाने हेतु धड़ल्ले से
कन्या भ्रूण हत्याएँ कर रही हैं। उनका स्षप्ट व सरेआम कहना है कि
वे केवल दो बच्चे ही पैदा करेंगे-एक लड़का, एक लड़की। बहुत अच्छी
बात है कम से कम एक लड़की सहर्ष स्वीकार तो कर रहे हैं। यदि
विवाहिता की कोख से पहली बार लड़की पैदा हो जाए, तो दूसरी बार
गर्भवती होने पर लिंग जानने हेतु अल्ट्रासाउंड जरूर करवाया जाता
है। यदि अल्ट्रासाउंड में लड़के के भ्रूण होने की पुष्टि होती है
तो ठीक, वरना सफाई के नाम पर कत्ल करवा दिया जाता है , मासूम अजन्मी
बच्ची का। यह तब तक चलता है, जब तक उनकी प्लानिंग कामयाब ना हो जाए।
यदि पहली बार लड़का जन्म ले ले तो पुनः गर्भवती होने पर तो जाँच
करवाई ही नहीं जाती ,
क्योंकि लड़का तो हो ही गया ना! और यदि शेष
6-7 माह की अनिश्चितता को दूर करने हेतु अल्ट्रासाउंड करवा भी
लिया तो गर्भ में लड़की का भ्रूण पाए जाने पर न खुशी न गम का माहौल
होता है और यदि गर्भ में लड़के के भ्रूण की रिपोर्ट आई तो
खुशियाँ ही खुशियाँ। यहाँ
फैशन फौरन बदल जाता है। हम दो हमारे
दो में एक लड़का, एक लड़की के स्थान पर दो लडक़ों का
फैशन
ज्यादा कारगर लगता है।
और यदि इस फैशन को पति या पत्नी में से कोई एक न माने तो सबक
सिखाने के पढ़े-लिखों वाले नए-नए तरीके अपनाए जाते हैं। पत्नी
के न मानने पर उसको मानसिक प्रताड़ना दी जाती है, धोखे से
गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करवा दिया जाता है। ओर भी कई तरीकों से
सामाजिक व पारिवारिक दबाव दिया जाता है और यदि इस
फैशन परेड
बनाम कुकृत्य में पति शामिल होने से इंकार कर दे तो पति की खैर
नहीं। ऐसा ही
कुछ अशोक के साथ हुआ।
अशोक की शादी के बाद उसे अपनी पत्नी मीना से एक पुत्री हुई। पहली
बेटी होने पर घर में ना कहीं खुशी और ना कहीं गम का माहौल था,
लेकिन अशोक पुत्री पाकर बेहद खुश था। दो साल बाद उसकी पत्नी पुनः
गर्भवती हुई। पत्नी मीना चाहती थी कि वो गर्भ में पल रहे बच्चे का
लिंग जाँच करवाए। अशोक इसके लिए सहमत नहीं था, लेकिन विरोध भी नहीं
किया। मीना की भाभी, जो कि एक
डॉक्टर भी है- ने मीना का
अल्ट्रासाउंड करवाकर बताया कि वो पुनः लड़की की मां बनने वाली
है। इतना सुनते ही मीना को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल पर
तेजाब फैंक दिया हो, वो उदास रहने लगी और धीरे-धीरे अपने पति
से गर्भपात करवाने की इजाजत मांगने लगी, लेकिन अशोक इस बात पर
बिल्कुल सहमत नहीं हुआ। इस विषय में अशोक की सास ने भी बहुत जोर
दिया कि दो-दो लड़कियों
का क्या करोगे, लेकिन अशोक नहीं माना। एक
दिन मीना घर में झगड़ा कर मायके चली गई और वहाँ जाकर अपनी
डॉक्टर
भाभी से अवांछित गर्भ में पल रही बेटी से छुटकारा पा लिया।
जब अशोक को इस बात का पता चला तो वह बहुत दुःखी व नाराज हुआ और उसने
फैसलाा किया कि वह अपनी पत्नी को उसके मायके से वापिस नहीं
लाएगा। दोनों तरफ तनाव बढ़ता गया। इस दौरान छः महीने बीत गए।
अशोक-मीना अलग-अलग रह रहे थे। मीना के परिवार वालों ने मीना को
बरगला कर अशोक के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की अर्जी थाने में दिलवा
दी। दहेज प्रताड़ना की अर्जी पर थाने वालों ने तुरंत कार्यवाही करते
हुए अशोक को थाने बुलवा लिया। अशोक के साथ शहर के कई गणमान्य
व्यक्ति थाने पहुँचे। थानाध्यक्ष को असलियत से वाकिफ करवाया, लेकिन
फिर भी थाने में माफीनामा और राजीनामा लिखकर मामले को सुलझाया गया।
कुछ दिन तनाव के बाद पुनः घर में शांति हुई और फिर से मीना
गर्भवती हो गई, लेकिन आदत से मजबूर मीना ने चुपके से अपने मायके जाकर पुनः गर्भ के लिंग की जांच करवाई।
कुदरत का करिश्मा देखो,
इस बार उसे जुड़वां बच्चों की मां बनने की खबर मिली, जिसमें एक
लड़का और एक लड़की थी। अब वो दोनों को जन्म देने पर खुश
थी, क्योंकि एक अवांछित के साथ सुनहरा फल भी साथ में था, लेकिन इसके बाद
मीना के स्वभाव में काफी अंतर आ गया।
|
|